वातायन-यूरोप
28 नवंबर 2003 को स्थापित
हमारे बारे में
28 नवंबर 2003 के दिन रॉयल फ़ेस्टिवल हॉल-लंदन में हिन्दी के प्रचार प्रसार में वर्षों से संलग्न कुछ स्वयंसेवियों द्वारा स्थापित वातायन-यूके इस वर्ष अपनी 20वीं वर्षगाँठ मना रहा है। आर्ट्स काउंसिल ऑफ़ इंग्लैंड के आर्ट्स-एचीवर और भारतीय उच्चायोग-लंदन के फ्रैडरिक पिनकॉट हिन्दी प्रचार प्रसार पुरस्कार से सम्मानित वातायन संस्था के मुख्य उद्देश्य हैं: भारतीय और आँचलिक लेखकों और कलाकारों के लाभ के लिए गतिविधियाँ आयोजित करना; गैर-अंग्रेजी लेखकों को अंतर्राष्ट्रीय लेखकों के संपर्क में लाने के लिए एक मंच प्रदान करना; हिन्दी लेखन को अंग्रेज़ी में और यदि संभव हो तो अन्य भाषाओं में अनुवादित/प्रकाशित करना।
2004 में वातायन ने साहित्य पुरस्कार स्थापित किए, सम्मानित लेखकों में सामिलित हैं मनोज मुंतशिर, जावेद अख्तर, निदा फाज़ली, प्रसून जोशी, राजेश रेड्डी, कुंवर बेचेन, लक्ष्मीशंकर बाजपेई, डॉ उषा प्रियंवदा, डॉ कमल किशोर गोयनका, प्रो पुष्पिता अवस्थी, गीत चतुर्वेदी, इत्यादि बहुत से प्रतिष्ठित लेखक। नेहरू केंद्र-लंदन, जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टीवल, अलीगढ़ मुस्लिम अलुम्नाई, केंद्रीय हिन्दी संस्थान-आगरा, यूके हिन्दी समिति, प्रभा खेतान फाउंडेशन, वैश्विक हिन्दी परिवार, इल्मी मजलिस, इन्फ़ोकस, एशिया हाउस, भारतीय विद्या भवन-लंदन, अकैडमी, बागड़ी फाउंडेशन इत्यादि
अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संघों की सहभागिता में वातायन ग़ालिब, दक्खिनी, मौलाना आज़ाद, प्रेमचंद और सूफ़ी वॉइसेज़, अनुवाद का आंतरिक जीवन जैसे विषयों पर बहुत से अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन कर चुका है। इन बीस वर्षों के दौरान वातायन सैंकड़ों की संख्या में कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। लॉकडाउन के उपरांत, हम अब तक 151 संगोष्ठियों का आयोजन कर चुके हैं, जिसमें विश्व भर से वक्ता, कलाकार और श्रोता सम्मिलित होते हैं। वा
वातायन द्वारा आयोजित नियमित श्रृंखलाओं में सम्मिलित है: लेखकों से साक्षात्कार, पुस्तक लोकार्पण, स्मृति संवाद, दो देश दो कहानियाँ, लोक-गीत शृंखला, लेखक-चित्रकार से, युवा लेखन, बाल साहित्य, विमर्श/परिचर्चा इत्यादि।
वातायन ने आर्ट्स काउंसिल ऑफ़ इंग्लैंड द्वारा प्रायोजित प्रवासी भारतीय लेखकों के तीन संकलनों – ‘देसी गर्ल्स’ एवं ‘इक सफ़र साथ साथ’ (विदेश में भारतीय महिला लेखकों की कहानियाँ), ‘नेटिव सैनट्स’ (हिंदी, पंजाबी और उर्दू की कविताएं) के प्रकाशन के अतिरिक्त प्रवासी कवियों के गीतों/ग़ज़लों का एक एल्बम, ‘वतन की खुशबु’ भी जारी किया है (राधिका चोपड़ा द्वारा संगीतबद्ध और प्रस्तुत)।
हमारी टीम
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